राहुलयुग की आहट नहीं संभाल पाई कांग्रेस
2009 के लोकसभा चुनाव आते-आते कांग्रेस पर भ्रष्टाचार के काफी आरोप लग गये थे, लेकिन आरोपों के साथ-साथ राहुल गांधी की आमजन का हितैषी और समर्थक होने की छवि मजबूत हो रही थी, कांग्रेस पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाये जा रहे थे लेकिन खास बात यह थी कि कांग्रेस ने किसी भ्रष्टाचारी का समर्थन नहीं किया और ना ही किसी भ्रष्टाचारी को राजनीतिक छवि का फायदा उठाने दिया।
कांग्रेस ने राहुल को महासचिव की जिम्मेदारी के साथ-साथ भारतीय युवा कांग्रेस और एनएसयूआई की बागडोर थमा दी थी, इसके साथ-साथ राहुल ने युवा कांग्रेस के जरिये अपने साथ युवाओं को जोडना आरंभ शुरू करदिया जिसके कारण युवाओं में राहुल की युवाहितैषी होने की छवि मजबूत हो गई और युवा भी 2009में अपने युवा प्रधानमन्त्री का सपना संजोने लगे थे यही कारण था कि कांग्रेस को 2009 में 200+ सीट मिली, कांग्रेस के यूपीए गठबंधन को 261 सीट मिली थी लेकिन इतनी सीट मिलने के बाद भी राहुल गांधी को प्रधानमंत्री ना बना पाना ही कांग्रेस की रणनीतिक चूक साबित हुई और इस रणनीतिक चूक का खामियाजा कांग्रेस को 2014में भुगतना पडा।
कांग्रेस की इस रणनीतिक चूक का फायदा उठाना नरेंद्र मोदी ने 2009 से ही शुरू करदिया था सोशल-मीडिया उन दिनों में अपने शुरूआत दौर में था सभी शुरूआती दौर में सोशल-मीडिया पर जी-जान से सक्रिय थे, नरेंद्र मोदी ने इसी का उपयोग करके कांग्रेस के खिलाफ एक माहौल खडा किया, कांग्रेस के खिलाफ फर्जी फोटोशॉप का भी खूब इस्तेमाल हुआ और कांग्रेस के खिलाफ बने इस आगभरे माहौल में घी डालने का काम अन्ना हजारे द्वारा शुरू इंडिया अगेंस्ट करप्शन मुहिम ने किया।
इस मुहिम ने कांग्रेस को जितना ज्यादा नुकसान किया उससे
कहीं ज्यादा फायदा बीजेपी को हुआ और इंडिया अगेंस्ट करप्शन में बीजेपी ने अपने कार्यकर्ताओं को भी झोंक दिया जिससे वो एक छोटा सा आंदोलन कांग्रेस की छवि को धूमिल करता हुआ सत्ता से दूर कर गया था।
2009में यूपीए गठबंधन को 261 सीटों का मिलना राहुलयुग की आहट थी इस आहट को कांग्रेस समझ नहीं पाई और आज का नतीजा-हालात आपके सामने ही है
धन्यवाद साथियों
2009 के लोकसभा चुनाव आते-आते कांग्रेस पर भ्रष्टाचार के काफी आरोप लग गये थे, लेकिन आरोपों के साथ-साथ राहुल गांधी की आमजन का हितैषी और समर्थक होने की छवि मजबूत हो रही थी, कांग्रेस पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाये जा रहे थे लेकिन खास बात यह थी कि कांग्रेस ने किसी भ्रष्टाचारी का समर्थन नहीं किया और ना ही किसी भ्रष्टाचारी को राजनीतिक छवि का फायदा उठाने दिया।
कांग्रेस ने राहुल को महासचिव की जिम्मेदारी के साथ-साथ भारतीय युवा कांग्रेस और एनएसयूआई की बागडोर थमा दी थी, इसके साथ-साथ राहुल ने युवा कांग्रेस के जरिये अपने साथ युवाओं को जोडना आरंभ शुरू करदिया जिसके कारण युवाओं में राहुल की युवाहितैषी होने की छवि मजबूत हो गई और युवा भी 2009में अपने युवा प्रधानमन्त्री का सपना संजोने लगे थे यही कारण था कि कांग्रेस को 2009 में 200+ सीट मिली, कांग्रेस के यूपीए गठबंधन को 261 सीट मिली थी लेकिन इतनी सीट मिलने के बाद भी राहुल गांधी को प्रधानमंत्री ना बना पाना ही कांग्रेस की रणनीतिक चूक साबित हुई और इस रणनीतिक चूक का खामियाजा कांग्रेस को 2014में भुगतना पडा।
कांग्रेस की इस रणनीतिक चूक का फायदा उठाना नरेंद्र मोदी ने 2009 से ही शुरू करदिया था सोशल-मीडिया उन दिनों में अपने शुरूआत दौर में था सभी शुरूआती दौर में सोशल-मीडिया पर जी-जान से सक्रिय थे, नरेंद्र मोदी ने इसी का उपयोग करके कांग्रेस के खिलाफ एक माहौल खडा किया, कांग्रेस के खिलाफ फर्जी फोटोशॉप का भी खूब इस्तेमाल हुआ और कांग्रेस के खिलाफ बने इस आगभरे माहौल में घी डालने का काम अन्ना हजारे द्वारा शुरू इंडिया अगेंस्ट करप्शन मुहिम ने किया।
इस मुहिम ने कांग्रेस को जितना ज्यादा नुकसान किया उससे
कहीं ज्यादा फायदा बीजेपी को हुआ और इंडिया अगेंस्ट करप्शन में बीजेपी ने अपने कार्यकर्ताओं को भी झोंक दिया जिससे वो एक छोटा सा आंदोलन कांग्रेस की छवि को धूमिल करता हुआ सत्ता से दूर कर गया था।
2009में यूपीए गठबंधन को 261 सीटों का मिलना राहुलयुग की आहट थी इस आहट को कांग्रेस समझ नहीं पाई और आज का नतीजा-हालात आपके सामने ही है
धन्यवाद साथियों
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