ज्योतिरादित्य सिंधिया एक नाम जो जनता के दिलों के करीब है, एक राजा गरीब सा शीर्षक देखकर आप लोग सोच रहे होंगे कि ये शीर्षक क्यूं?
गरीबों के करीब रहना वाला शख्स गरीब ही है वो अपनी दौलत-शोहरत से, अपने विचारों से, अपनी शराफत से, अपने साधारणपन से अमीर है लेकिन गरीबों मे गरीब की तरां रहकर उनके दिलों मे उतरना किसी राजा के बस की बात नही है लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया वो नाम बने जिन्होंने राजा परिवार से उठकर गरीबों के बीच जाकर उनके मसीहा बने और गरीब राजा बने, राजा नाम कहने को है लेकिन सिंधिया नाम गरीबों के दिलों मे रहने वाला है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया का जन्म 1जनवरी 1971 को मुंबई मे हुआ। ज्योतिरादित्य सिंधिया का जन्म मध्यप्रदेश के राजा परिवार मे माधवराव सिंधिया के पुत्र के रूप मे हुआ। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी अर्थशास्त्र की पढाई हावर्ड यूनिवर्सिटी से की। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने माधवराव सिंधिया की विरासत को संभाला और माधवराव सिंधिया की विरासत के तहत आने वाला जनसमर्थन व लोगों के प्यार को संभाल पाना आसान तो नही था क्यूंकि जन को माधवराव सिंधिया की शख्सियत की तरां उनके सुख-दुख का साथी चाहिए था। और ज्योतिरादित्य सिंधिया लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरते हुये एक राजापन को छोड गरीबों के बीच जाकर बैठने लगे, गरीबों के सुख-दुख साझा करने लगे और लोगों के बीच ज्योतिरादित्य सिंधिया की छवि एक गरीब हितैषी सबके साथी की बन गई। राजशाही शौंक बहुत से राजाओं ने पाले होंगे लेकिन ये राजा गरीबशाही बन गया, दिल्ली मे पार्टी द्वारा दी गई जिम्मेदारीयों को निभाते हुये भी गरीबों के बीच जाकर जनसमस्यायें सुनने लगा और समस्याओं का निपटारा करने लगा।
राजनीति मे ज्योतिरादित्य सिंधिया जी माधवराव सिंधिया जी के इस दुनिया को अलविदा कह जाने के बाद 2002 मे आये और गुना लोकसभा क्षेत्र से चुनकर सांसद बने और फिर से 2004 मे हुये लोकसभा चुनाव मे चुनकर सांसद बने और उनकी विजयगाथा 2009 और 2014 मे भी जारी रही।
2014 एक ऐसा चुनाव था जिसमे कांग्रेस पार्टी के बिल्कुल विपरीत लहर थी और उस मे लहर मे बडे-बडे दिग्गज हार गये थे लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया उस विपरीत लहर मे अच्छे-खासे अंतर के साथ विजय हुये क्यूंकि उनकी छवि जन के बीच रहकर जनसेवा करने की थी।
ज्योतिरादित्य सिंधिया राजनीति मे अपने पिता के जाने की वजह से उनके अधूरे छूटे वादों को, जनता के लगाव को देखते हुये आये और दिल मे ठान लिया कि "अब मेरे दिल का महल भी जनता, अब मेरे दिल का ख्याल भी जनता" "जनता के लिये जीवन है, कुछ भी नही जन के बिन है"
ज्योतिरादित्यसिंधिया सिंधिया ने अपनी कर्मस्थली गुना लोकसभा क्षेत्र को बना लिया है और अपना जीवन गुना के प्रति समर्पित करदिया है। गुना की जनता के प्यार के देखते हुये हम सब महसूस कर सकते हैं कि "ये प्यार सिंधिया के प्रति यूं फजूल नही, हमको सिंधिया की खिलाफत मे इक शब्द भी कबूल नही" गुना लोकसभा क्षेत्र की जनता का प्यार हमारे शब्दों को सार्थक करता है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी के करीबीयों मे आते हैं और राहुल गांधी जी भी ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ काफी मामलों मे सलाह-मशविरा करते हैं और ज्योतिरादित्य सिंधिया सही सलाह देकर संघर्ष के पथ के विश्वसनीय साथी की भूमिका अदा करते हैं। यही कारण है जो राहुल गांधी के करीबियों मे ज्योतिरादित्य सिंधिया को शुमार करता है। हर मोर्चे, हर लडाई, हर संघर्ष की घड़ी मे ज्योतिरादित्य सिंधिया साहब राहुल गांधी के संग खडे नजर आते हैं।
राजधानी दिल्ली मे इतनी जिम्मेदारीयां होते हुये भी ज्योतिरादित्य सिंधिया जी गुना लोकसभा क्षेत्र की जनता के प्रति समर्पणभाव से अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं और लोकसभा क्षेत्र के हर शख्स को वक्त दे रहे हैं। उनकी यही योग्यता ज्योतिरादित्य सिंधिया साहब को एक अलग ही चेहरा, अलग ही शख्सियत बनाकर पेश करती हैं।
हम लोगों को कोई संदेह नही होगा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को 2018 मे मध्यप्रदेश मे कांग्रेस का मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित करते ही एक लहर बनेगी। ये लहर शिवराज के बने कुशासन के किले को उखाडकर सुशासन का किला स्थापित करेगी। ये सुशासन का किला पूरे देश के राज्यों के लिये एक प्रेरणास्रोत बनेगा। क्यूंकि ज्योतिरादित्य सिंधिया एक ऐसा पढालिखा चेहरा है जो राज्य को सभी प्रकार की कुरीतियों से निकाल स्वच्छ-सुशासित राज्य की छवि प्रदान करेगा।
दोस्तों, मध्यप्रदेश के सभी कांग्रेसीजन पुकार रहे हैं, " मध्यप्रदेश निकल पडेगा कांग्रेस के संग, जब सिंधिया को डोर पकडाकर देंगे कांग्रेसी पतंग"
"मध्यप्रदेश को शिवराज के कुशासन से निजात दिलानी है, बस अब मुख्यमंत्री के पद की पगडी सिंधिया के सर सजानी है"
"शिवराज के राज से हो गया है मध्यप्रदेश सारा तंग, निकलकर चलने को तैयार बैठा है सिंधिया के संग"
"समझता है वो सबके दिलों की रमझ, इसीलिये निकल पडो सब सिंधिया साहब के संग"
कुछ ऐसी ही पंक्तियों से गूंज उठेगा मध्यप्रदेश, बस ज्योतिरादित्य सिंधिया को मुख्यमन्त्री चेहरा घोषित होने दीजिये, ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्यप्रदेश की गरीब जनता की आश बन चुके है, बस अब यही उम्मीद कांग्रेस हाईकमान को समझकर ज्योतिरादित्य सिंधिया को कमान पकडाकर मध्यप्रदेश के रणक्षेत्र मे अभी से उतार देना चाहिए क्यूंकि "अंधेर के बाद एक सुबह तो आनी ही है, उस सुबह के उजाले की किरण सिंधिया के सर सजा मध्यप्रदेश की सूरत बदलवानी है"
मेरा ये लेख भारतीय राजनीति और मध्यप्रदेश की राजनीति मे उभर चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया साहब के नाम है।
गरीबों के करीब रहना वाला शख्स गरीब ही है वो अपनी दौलत-शोहरत से, अपने विचारों से, अपनी शराफत से, अपने साधारणपन से अमीर है लेकिन गरीबों मे गरीब की तरां रहकर उनके दिलों मे उतरना किसी राजा के बस की बात नही है लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया वो नाम बने जिन्होंने राजा परिवार से उठकर गरीबों के बीच जाकर उनके मसीहा बने और गरीब राजा बने, राजा नाम कहने को है लेकिन सिंधिया नाम गरीबों के दिलों मे रहने वाला है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया का जन्म 1जनवरी 1971 को मुंबई मे हुआ। ज्योतिरादित्य सिंधिया का जन्म मध्यप्रदेश के राजा परिवार मे माधवराव सिंधिया के पुत्र के रूप मे हुआ। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी अर्थशास्त्र की पढाई हावर्ड यूनिवर्सिटी से की। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने माधवराव सिंधिया की विरासत को संभाला और माधवराव सिंधिया की विरासत के तहत आने वाला जनसमर्थन व लोगों के प्यार को संभाल पाना आसान तो नही था क्यूंकि जन को माधवराव सिंधिया की शख्सियत की तरां उनके सुख-दुख का साथी चाहिए था। और ज्योतिरादित्य सिंधिया लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरते हुये एक राजापन को छोड गरीबों के बीच जाकर बैठने लगे, गरीबों के सुख-दुख साझा करने लगे और लोगों के बीच ज्योतिरादित्य सिंधिया की छवि एक गरीब हितैषी सबके साथी की बन गई। राजशाही शौंक बहुत से राजाओं ने पाले होंगे लेकिन ये राजा गरीबशाही बन गया, दिल्ली मे पार्टी द्वारा दी गई जिम्मेदारीयों को निभाते हुये भी गरीबों के बीच जाकर जनसमस्यायें सुनने लगा और समस्याओं का निपटारा करने लगा।
राजनीति मे ज्योतिरादित्य सिंधिया जी माधवराव सिंधिया जी के इस दुनिया को अलविदा कह जाने के बाद 2002 मे आये और गुना लोकसभा क्षेत्र से चुनकर सांसद बने और फिर से 2004 मे हुये लोकसभा चुनाव मे चुनकर सांसद बने और उनकी विजयगाथा 2009 और 2014 मे भी जारी रही।
2014 एक ऐसा चुनाव था जिसमे कांग्रेस पार्टी के बिल्कुल विपरीत लहर थी और उस मे लहर मे बडे-बडे दिग्गज हार गये थे लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया उस विपरीत लहर मे अच्छे-खासे अंतर के साथ विजय हुये क्यूंकि उनकी छवि जन के बीच रहकर जनसेवा करने की थी।
ज्योतिरादित्य सिंधिया राजनीति मे अपने पिता के जाने की वजह से उनके अधूरे छूटे वादों को, जनता के लगाव को देखते हुये आये और दिल मे ठान लिया कि "अब मेरे दिल का महल भी जनता, अब मेरे दिल का ख्याल भी जनता" "जनता के लिये जीवन है, कुछ भी नही जन के बिन है"
ज्योतिरादित्यसिंधिया सिंधिया ने अपनी कर्मस्थली गुना लोकसभा क्षेत्र को बना लिया है और अपना जीवन गुना के प्रति समर्पित करदिया है। गुना की जनता के प्यार के देखते हुये हम सब महसूस कर सकते हैं कि "ये प्यार सिंधिया के प्रति यूं फजूल नही, हमको सिंधिया की खिलाफत मे इक शब्द भी कबूल नही" गुना लोकसभा क्षेत्र की जनता का प्यार हमारे शब्दों को सार्थक करता है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी के करीबीयों मे आते हैं और राहुल गांधी जी भी ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ काफी मामलों मे सलाह-मशविरा करते हैं और ज्योतिरादित्य सिंधिया सही सलाह देकर संघर्ष के पथ के विश्वसनीय साथी की भूमिका अदा करते हैं। यही कारण है जो राहुल गांधी के करीबियों मे ज्योतिरादित्य सिंधिया को शुमार करता है। हर मोर्चे, हर लडाई, हर संघर्ष की घड़ी मे ज्योतिरादित्य सिंधिया साहब राहुल गांधी के संग खडे नजर आते हैं।
राजधानी दिल्ली मे इतनी जिम्मेदारीयां होते हुये भी ज्योतिरादित्य सिंधिया जी गुना लोकसभा क्षेत्र की जनता के प्रति समर्पणभाव से अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं और लोकसभा क्षेत्र के हर शख्स को वक्त दे रहे हैं। उनकी यही योग्यता ज्योतिरादित्य सिंधिया साहब को एक अलग ही चेहरा, अलग ही शख्सियत बनाकर पेश करती हैं।
हम लोगों को कोई संदेह नही होगा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को 2018 मे मध्यप्रदेश मे कांग्रेस का मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित करते ही एक लहर बनेगी। ये लहर शिवराज के बने कुशासन के किले को उखाडकर सुशासन का किला स्थापित करेगी। ये सुशासन का किला पूरे देश के राज्यों के लिये एक प्रेरणास्रोत बनेगा। क्यूंकि ज्योतिरादित्य सिंधिया एक ऐसा पढालिखा चेहरा है जो राज्य को सभी प्रकार की कुरीतियों से निकाल स्वच्छ-सुशासित राज्य की छवि प्रदान करेगा।
दोस्तों, मध्यप्रदेश के सभी कांग्रेसीजन पुकार रहे हैं, " मध्यप्रदेश निकल पडेगा कांग्रेस के संग, जब सिंधिया को डोर पकडाकर देंगे कांग्रेसी पतंग"
"मध्यप्रदेश को शिवराज के कुशासन से निजात दिलानी है, बस अब मुख्यमंत्री के पद की पगडी सिंधिया के सर सजानी है"
"शिवराज के राज से हो गया है मध्यप्रदेश सारा तंग, निकलकर चलने को तैयार बैठा है सिंधिया के संग"
"समझता है वो सबके दिलों की रमझ, इसीलिये निकल पडो सब सिंधिया साहब के संग"
कुछ ऐसी ही पंक्तियों से गूंज उठेगा मध्यप्रदेश, बस ज्योतिरादित्य सिंधिया को मुख्यमन्त्री चेहरा घोषित होने दीजिये, ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्यप्रदेश की गरीब जनता की आश बन चुके है, बस अब यही उम्मीद कांग्रेस हाईकमान को समझकर ज्योतिरादित्य सिंधिया को कमान पकडाकर मध्यप्रदेश के रणक्षेत्र मे अभी से उतार देना चाहिए क्यूंकि "अंधेर के बाद एक सुबह तो आनी ही है, उस सुबह के उजाले की किरण सिंधिया के सर सजा मध्यप्रदेश की सूरत बदलवानी है"
मेरा ये लेख भारतीय राजनीति और मध्यप्रदेश की राजनीति मे उभर चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया साहब के नाम है।
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