Sunday, 15 October 2017

गुरदासपुर मे कांग्रेस की जीत के मायनों का 2019 पर असर?

नमस्कार दोस्तों, आज लंबे अंतराल के बाद एक बार फिर से नये लेख के साथ हाजिर हूँ। आज का लेख आज आये गुरदासपुर उप-चुनाव के नतीजे पर है, आज के लेख मे हम गुरदासपुर उप-चुनाव मे मिली दमदार जीत के मायने 2019 पर क्या असर डालेंगे अध्ययन करेंगे।

गुरदासपुर मे कांग्रेस की तरफ से उम्मीदवार दिग्गज नेता रहे स्वर्गीय बलराम जाखड के सुपुत्र सुनील जाखड थे। सुनील जाखड किसी परिचय के मोहताज नही है उन्होंने भी काफी चुनाव लडे हैं और जीते भी हैं। सुनील जाखड पंजाब प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी हैं। कांग्रेस ने जब गुरदासपुर उप-चुनाव के लिये सुनील जाखड को चुनाव मे उतारा तो अकाली-भाजपा गठबंधन ने आरोप लगाने शुरू कर दिये कि बाहरी उम्मीदवार है। लेकिन दोस्तों जब वक्त के सितारे बुलंद हो तो चित भी अपनी होती है और पट भी अपनी।

सुनील जाखड की टक्कर मे भाजपा-अकाली की गठबंधन की तरफ से स्वर्ण सिंह सलारिया व आप पार्टी की तरफ से रिटायर्ड मेजर जरनल सुरेश कुमार खजूरिया थे। लेकिन असली टक्कर सुनील जाखड और स्वर्ण सिंह सलारिया के बीच थी। ये टक्कर उस वक्त खत्म हो गई थी जब सलारिया पर एक महिला ने यौन-शोषण के आरोप लगा दिये थे। सुनील जाखड की 193219 वोटों की जीत से ही अंदाजा लगा सकते हैं कि पंजाब की जनता ने केन्द्र की सत्ता मे विराजमान सरकार को कितनी बुरी तरां हराया। इतनी बडी हार तो उस दौर मे भी नही हुई जब बीजेपी कमजोर हुआ करती थी। गुरदासपुर को बीजेपी का किला माना जाता है क्योंकि गुरदासपुर से 4बार अभिनेता विनोद खन्ना सांसद रह चुके हैं। ये सीट विनोद खन्ना जी के आकस्मिक निधन के कारण ही खाली हुई थी। कांग्रेस को अंदेशा था कि इस सीट से बीजेपी सहानुभूति अदा करते हुये विनोद खन्ना जी की धर्मपत्नी या पारिवारिक सदस्य को उतारेगी लेकिन कांग्रेस का अंदेशा उलट हो गया और बीजेपी ने स्वर्ण सिंह सलारिया को मैदान मे उतार दिया। इस चुनाव के प्रचार के दौरान सुनील जाखड ने स्वर्गीय विनोद खन्ना जी की धर्मपत्नी से मुलाकात कर जता दिया अब राज्य मे सत्ता पर काबिज होने के बाद भी नई संभावनाओ की तलाश जारी रहेगी।

सुनील जाखड की जीत का ऐलान होते ही जीत का जश्न मनाने पंजाब सरकार मे मंत्री नवजोत सिंह सिध्दू पहुंच गये और 2019 की लडाई की शुरुआत का ऐलान करदिया। नवजोत सिंह सिध्दू ने जोरदार हमला बोलते हुये कहा कि ये जो कांग्रेस के चुनाव निशान पंजे के थप्पड़ की गूंज है वो सारा हिन्दुस्तान सुनेगा। एबीपी न्यूज के रिपोर्टर द्वारा बीजेपी पर सवाल पूछने पर चुटीले अंदाज मे कहा कि सवारी अपने समान की खुद जिम्मेवार है।

गुरदासपुर मे कांग्रेस की जीत 2019 मे फायदेमंद रहेगी या नही लेकिन ये जीत कुछ दिनों बाद हिमाचल प्रदेश मे आ रहे चुनावों पर जरूर असर डालेगी। गुरदासपुर की जीत ने कांग्रेस के कार्यकर्ताओं मे एक जोश उत्पन्न कर दिया है ये जोश गुजरात के चुनावों मे भी ललकार बन उभरेगा। गुजरात मे इस बार कांग्रेस के लिये मौका बन रहा है अब देखना ये है कि कांग्रेस उस मौके को कितना भुना पाती है।
गुरदासपुर की जीत के साथ ही राहुल गांधी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से पहले कांग्रेस को एक जडी-बूटी मिली है ये जडी-बूटी हिमाचल और गुजरात के चुनावों मे कांग्रेस को जीवनदान देने के काम आयेगी। कांग्रेस के लिये हिमाचल की चुनावी जंग गुजरात से ज्यादा मुश्किल होती नजर आ रही है क्योंकि हिमाचल मे कांग्रेस की गुटबंदी खुलकर सामने आ रही है और सरकार मे मंत्री भी बीजेपी का दामन थाम रहे हैं लेकिन फिर भी वीरभद्र सिंह मोर्चा संभाले हुये हैं और हाईकमान के दिल पर विश्वास कर मुख्यमंत्री चेहरा घोषित करवा लिया। हालांकि कांग्रेस अपने वर्तमान मुख्यमंत्री को ही अगले चुनाव मे मुख्यमंत्री चेहरा बनाती है। 

गुरदासपुर की चुनावी जंग अगर कांग्रेस हार जाती तो आज राष्ट्रीय मीडिया की डिबेटों मे पंजाब की कैप्टन सरकार पर सवाल खडे कर दिया जाता और तो और कैप्टन अमरिंदर सिंह का इस्तीफा मांग लिया जाता। गुरदासपुर की जीत ने राहुल गांधी को एक राहत की सांस देते हुये उनके हौंसले को चौगुना कर दिया। राहुल गांधी को अहसास करवाया कि "चल मुसाफिर कांटो पर खून पांवों मे आयेगा, मगर मुसाफिर तूं जरूर मंजिल पर पहुंच जायेगा"

2019 का चुनावी रण अब काफी उत्सुकता भरा हो गया है, जब नरेन्द्र मोदी ने यूपी का किला फतेह किया था तो सभी राजनीतिक विश्लेषक विश्लेषण कर बैठे थे कि लोकसभा चुनाव इस बार 2019 की बजाये अक्टूबर-नवंबर मे होने वाले राजस्थान-मध्यप्रदेश-छतीसगढ़ के चुनावों के संग हो जायेंगे। लेकिन जैसे-जैसे कांग्रेस की स्थिति मे सुधार होता जा रहा है वैसे-वैसे मोदी जी के दिमाग के ताले खोलता जा रहा है कि जनाब अपनी टर्म ही पूरी कर लीजिये अगली टर्म की बाद मे सोचेंगे।

2019 के चुनावी रण मे मोदी के सामने झूठे वादे करने का ऑप्शन नही होगा, मोदी के किये पुराने वादों का लेखा-जोखा भी कांग्रेस के पास होगा और कांग्रेस उस लेखे-जोखे को दिखाकर मोदी को घेरते हुये जनता के सामने रखेगी। अगर कांग्रेस गुजरात के चक्रव्यूह को भेदने मे कामयाब हो गई तो फिर कांग्रेस मोदी पर मानसिक फतेह करलेगी और मोदी का किला ही नही दिल टूट जायेगा गुजरात की हार से। 2019 की चुनावी जंग बहुत रोचक होने वाली है हालांकि उस जंग से पहले काफी कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी काफी राज्यों में।

तो फिर दोस्तों देखते रहिये आने वाली चुनावी जंगो को और हमारे लेख को पढकर उन जंगों का विश्लेषण पढते रहिये। इसी के साथ विदा लेता हूं आप सब से।

2 comments:

  1. जब राइटर कांग्रेसी तो कांग्रेस का ही पूछ लेगा 1 सीट जीतने से कांग्रेस जितना खुशी मना रही है उतना तो BJP पूरी यूपी जीत कर भी नहीं बनाई थी

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  2. जब राइटर कांग्रेसी तो कांग्रेस का ही पूछ लेगा 1 सीट जीतने से कांग्रेस जितना खुशी मना रही है उतना तो BJP पूरी यूपी जीत कर भी नहीं बनाई थी

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