Tuesday, 12 December 2017

राहुलयुग की शुरूआत कांग्रेस मे, चुनौतीयां भी कम नहीं

नमस्कार दोस्तों, आज बहुत लंबे अंतराल के बाद आप लोगों के बीच लौट रहा हूं।
आप सबको पता ही होगा कल 11दिसंबर को राहुल गांधी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने का औपचारिक ऐलान हुआ। ये ऐलान कई दिग्गज नेताओं के लिये मार्गदर्शन मंड़ली मे बैठने का भी ऐलान कर गया। हालांकि अभी किसी नेता को मार्गदर्शन मंड़ली मे बैठाने का ऐलान नही हुआ। पर दिग्गज नेताओं को अहसास हो गया होगा कि अब उनकी सुनी जरूर जायेगी लेकिन उनका बनाया दवाब अब सहा नही जायेगा।


राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने का औपचारिक ऐलान होते ही पूरे देश के युवाओं मे खुशी की लहर दौड़ने लग गई इस लहर की वजह राहुल गांधी की निजी टीम मे अब युवाओं की भरमार होगी बेशक वो नेता ऊपर बैठे दिग्गज युवा नेता ही क्यों ना हो। कांग्रेसीजनो मे खुशी की लहर किसी चुनावी जीत की खुशी की लहर से भी अधिक दिखी। कांग्रेसीजन राहुल गांधी की ताजपोशी का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे।

अभी देखना बाकी है कि राहुल गांधी का अध्यक्ष के तौर पर कार्यकाल कैसा रहता है। लेकिन गुजरात चुनाव के नतीजों से पहले ही राहुल गांधी को अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपकर कांग्रेस ने बता दिया अब "जंग मे अकेले तुम नही, अब तुमसे कम हम नही" नरेंद्र मोदी के लिये राहुल गांधी बड़ी चुनौती बनकर उभर रहे हैं। बड़ी चुनौती का असर राहुल गांधी की बड़ी-बड़ी जनसभाओं मे दिख रहा है। नरेंद्र मोदी की जनसभाओं मे खालघ मिल रही कुर्सीयां नरेंद्र मोदी को आगाह कर रही हैं "मंजिल अब इतनी आसां भी नही, जितनी तुम समझ बैठे थे जनाब, वक्त अच्छे मे समझ बैठे थे खुद को बलवान, वक्त बुरे मे मालूम चलेगा कितने पानी मे थे आप"

हालांकि राहुल गांधी के लिये राह इतनी आसान भी नही। राहुल गांधी के लिये सबसे मुश्किल कार्य हर प्रदेश मे बिखरी पड़ी कांग्रेस व बिखरे पड़े प्रदेश के नेताओं को एकजुट करना होगा। हर प्रदेश मे कभी-कभी नेता एक मंच पर एक तो नजर आ जाते हैं लेकिन वो अपने समर्थकों से एक-दूसरे से नारे लगवा जाते हैं। कांग्रेस की हार का कारण आपस मे बनी ये खाई ही बनती है। राहुल गांधी के लिये इस खाई को भर पाना ही सबसे बड़ा कार्य माना जायेगा। इस खाई को भरने के लिये पर पत्थर रखकर ठोस कदम उठाना होगा। हर प्रदेश मे कांग्रेस कार्यकर्ता बंटा पड़ा है वो कार्यकर्ता कार्य तो कर रहा है लेकिन उसका कार्य निष्कार्य हुआ पड़ा है क्योंकि हर कार्यकर्ता पार्टी मे रहकर किसी ना किसी नेता के साथ जुड़कर कार्य कर रहा है। कार्यकर्ता मे भी एक भय का माहौल बना पड़ा है अब उस भय के माहौल को खत्म करना भी बहुत बड़ी चुनौती होगा।

राहुल गांधी की चुनौतीयां राजस्थान चुनाव में भी बहुत बढ़ जायेंगी क्योंकि उधर भी अशोक गहलोत या सचिन पायलट में से एक चुनना होगा। राहुल गांधी को अध्यक्ष के तौर पर शपथ लेते ही सभी दिग्गज व युवा नेताओं को चेताना होगा कि पूर्व मुख्यमंत्री होना ही आगे मुख्यमंत्री बनने का पैमाना नही और वर्तमान मे अध्यक्ष होना भी मुख्यमंत्री का पैमाना नही होगा। सबको मिलकर मेहनत करनी होगी। सबको एक मंच साझा करना होगा। अगर किसी को आपत्ति है तो वो पार्टी मे दर्ज करवाये। अगर किसी नेता के समर्थक किसी नेता के खिलाफ नारेबाजी करते पाये जायें तो उन कार्यकर्ताओं के खिलाफ नही ब्लकि उन ही नेताओं के खिलाफ कारवाई की जाये। क्योंकि कार्यकर्ता खुद नही उकसता उसको उकसाया जाता है। राहुल गांधी के लिये यही चुनौती सबसे बड़ी होगी कि सभी नेताओं को सांझा मंच पर कैसे लाया जाये। ये सांझा मंच प्रदेश स्तर पर हो रहे कार्यक्रमों के तौर पर कहा जा रहा है। राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रमों मे तो बनावटी एकता दिखा दी जाती है नारे भी लगवा दिये जाते हैं, कार्यकर्ताओं की झड़प करवा दी जाती है, इलाज होने से रोक दिया जाता है।

राहुल गांधी के लिये अब सोशलमीडिया चुनौती नही रहा क्योंकि दिव्या स्पंदना के सोशलमीडिया संभालते ही कांग्रेस सोशलमीडिया मे उफान सा आ चुका है। हर रोज राहुल गांधी के आधिकारिक दफ्तरी अकाउंट का ट्वीट 10-15 मिनट में न्यूज चैनलों की कवरेज मे आ जाता है। एक न्यूज बन जाता है। कांग्रेस की सोशलमीडिया का ही जलवा है जो गुजरात मे मोदी का विकास पागल हो गया है। मोदी का विकास कहीं नही दिख रहा था और कांग्रेस सोशल मीडिया ने ही उस गायब रहने विकास को पागल विकास की संज्ञा दी थी। कांग्रेस की सोशलमीडिया टीम नरेंद्र मोदी के अदृश्य विकास को हर रोज झुंझलाहट मे बनाये रखती है। अदृश्य विकास की झुंझलाहट इतनी अधिक हो गई है कि अब वो झुंझलाहट प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पल भी साफ देखी जा सकती है। नरेन्द्र मोदी अब छोटे से छोटे कार्यकर्ता के ट्वीट पर नजर बनाये हुये हैं कि कब मेरे खिलाफ कोई गलत लिखे और कब मैं रैली में भरे मंच से रो दूं।

सोशलमीडिया के व्याख्यान के साथ ही अलविदा लेता हूं साथियों। कोशिश करूंगा की अब हम सब में लंबा अंतराल ना हो। निजी व्यस्तताओं को निपटाकर जल्द लौटने की कोशिश करूंगा। धन्यवाद।

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